पदार्थ (Matter)
वह वस्तु जो स्थान घेरती है , जिसमें द्रव्यमान होती है और जिसका अनुभव कर सकते है , उसे पदार्थ कहते है ।
जैसे --- लोहा , लकड़ी , हवा , दूध , पानी ,
पदार्थ की अवस्थाएँ
पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती है
- ठोस अवस्था ( Solid state )
- द्रव अवस्था (Liquid state )
- गैसीय अवस्था ( Gaseous state )
ठोस , द्रव और गैस के गुण
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गतिज ऊर्जा ------- गैस > द्रव > ठोस
घनत्व -------------- ठोस > द्रव > गैस
प्रत्यास्थता ---------- ठोस > द्रव > गैस
ससंजक बल --------- ठोस > द्रव > गैस
विसरण। -------------- गैस > द्रव > ठोस
अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान नहीं बदलता हैं ।
नोटःः ठोस, द्रव, गैस के अलावा पदार्थ की दो और अवस्था होती है -
- प्लाज्मा अवस्था
- बोस आइंस्टीन कण्डनसेट
प्लाज्मा अवस्था
- यह पदार्थ की चौथी अवस्था है ।
- प्लाज्मा अवस्था का तापमान लगभग 20000℃ तक हो सकता है ।
- प्लाज्मा अवस्था एक आयनित अवस्था है ।
- प्लाज्मा प्रायः विसर्जन नलिका , नाभिकीय रिएक्टर, इत्यादि में पाये जाते हैं ।
- सूर्य और तारों की ऊष्मा (ऊर्जा) , चमक प्लाज्मा अवस्था के कारण होती है ।
बोस आइंस्टीन कण्डनसेट
- 1920 में सत्येंद्रनाथ बोस ने पाँचवी अवस्था की कुछ गणनाएं की थी ।
- इसी के आधार पर आइंस्टीन ने पदार्थ की पाँचवी अवस्था की भविष्यवाणी की ।
- इस अवस्था को प्राप्त करने के लिए कॉर्नेल, वीमैकेटले को नोबेल पुरस्कार दिया गया।
पदार्थ के सामान्य गुण (General properties of Matter)
दाब (Pressure)
यदि किसी सतह के स्रोत पर उसके लम्बवत कोई बल लग रहा हो तो कहा जाता है कि सतह पर दाब लग रहा है ।
या
पृष्ट या सतह पर लगने वाला दाब उस सहत पर आरोपित बल तथा पृष्ठ के क्षेत्रफल के अनुपात के बराबर होता है । अतः एकांक क्षेत्रफल पर कार्यरत बल दाब कहलाता है ।
या
प्रणोद (thrust) प्रति इकाई क्षेत्रफल दाब कहलाता है ।
दाब एक " आदिश राशि " है ।
दाब का SI मात्रक :: न्यूटन / मीटर^2 या पास्कल (Pa)
उड़ते विमान के अंदर का दाब बाहर की अपेक्षा अधिक होता है ।
द्रवों का दाब
- प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को द्रव का दाब कहते है । क्योंकि द्रव के अणु सभी दिशाओं में समान रूप से गति करते हैं । अतः किसी बिंदु पर द्रव का दाब भी सभी दिशाओं में समान रूप से लगता है ।
- द्रव के अंदर किसी बिंदु पर द्रव दाब की गणना : दाब = dgh h = द्रव की सतह से उस बिंदु की गहराई , d = द्रव का घनत्व , g = गुरुत्वीय त्वरण
- द्रव का दाब द्रव के घनत्व , सतह से गहराई तथा गुरुत्वीय त्वरण पर निर्भर करता है , परन्तु द्रव का दाब बर्तन, जिसमें वह रखा जाता है उसकी आकार या आकृति पर निर्भर नहीं करता है ।
- यदि द्रव के स्वतंत्र तल पर लगने वाले बल में वायुमंडलीय दाब को भी सम्मिलित कर लिया जाए तो , द्रव का कुल दाब = वायुमंडलीय दाब +dgh
द्रव दाब के नियम
- द्रव के भीतर किसी बिंदु पर द्रव का दाब द्रव के स्वतंत्र ताल से बिंदु की गहराई पर निर्भर करता है । जैसे जैसे गहराई बढती है द्रव का दाब भी बढ़ाता है ।
- एक ही गहराई पर द्रव का दाब चारों ओर समान होता है ।
- किसी द्रव के एक ही तल में स्थित सभी बिंदुओं पर दाब समान होता है । द्रव पत्र में द्रव सिर्फ उसकी ऊर्ध्वाधर गहराई पर निर्भर करता है न कि नली के आकार या चौड़ाई पर ।
- समान गहराई पर द्रव का दाब निर्भर करता है , दाब के घनत्व पर ।
- जिसका द्रव का अधिक घनत्व होता है उसका दाब भी अधिक होगा ।
पास्कल के नियम (Pascal's Law )
- यदि गुरुत्विय प्रभाव को शून्य माना जाये तो संतुलन की अवस्था मे द्रव के भीतर प्रत्येक बिंदु पर दाब समान होता है ।
- गुरुत्व बल को अप्रभावी मानने पर गहराई के साथ द्रव दाब बढता जाता है , परंतु समान गहराई पर द्रव दाब तब भी समान होता है ।
- किसी बर्तन में बंद द्रव के किसी भाग पर आरोपित बल द्रव द्वारा सभी दिशाओं में समान मात्रा में वितरित कर दिये जाते हैं ।
- बर्तन का आकार द्रव दाब को प्रभावित नहीं करता ।
Note ::. पास्कल के नियम के आधार पर कई द्रव चालित यंत्र बनाये गये हैं जैसे - हाइड्रोलिक प्रेस, हाइड्रोलिक लिफ्ट , हाइड्रोलिक ब्रेक ।
गलनांक तथा क्वथनांक पर दाब का प्रभाव
- गर्म करने पर जिन पदार्थों के आयतन में वृद्धि होती है , दाब बढ़ने पर उनका गलनांक भी बढ़ जाता है । जैसे मोम , घी , डालडा , नारियल तेल इत्यादि ।
- परन्तु कुछ पदार्थ ऐसे होते है जनको गर्म करने पर आयतन में कमी होती है । दाब बढ़ाने पर उनका गलनांक भी कम हो जाता है । जैसे ढलवाँ लोहा , बिस्मथ , बर्फ ।
- दाब बढ़ने पर सभी द्रवों का क्वथनांक बढ़ जाता है ।
प्लावन (Floating) ::. किसी वस्तु का किसी द्रव में तैरने को प्लवन कहते है । प्लवन वस्तु के भार व उत्क्षेप पर निर्भर करता है ।
जल के उत्क्षेप का अध्ययन सर्वप्रथम आर्किमिडीज ने किया और एक सिद्धांत दिया जिसे आर्किमिडीज का सिद्धांत कहते है ।
भार बल तथा उत्त्क्षेप/प्रणोद एक दूसरे के विपरीत होता है ।
उत्प्लावन का केन्द्र विस्थापित द्रव के आयतन केंद्रक के समानुपाती होता है ।
आर्किमिडीज का सिद्धांत (Archimedes principle)
वस्तु को द्रव में आंशिक या पूर्ण रूप से डुबाया जाता है तो उस वस्तु पर विस्थापित द्रव के आयात के बराबर एक बल कार्य करता है, जिसे उत्प्लावन या उत्क्षेप बल कहते है जिसके कारण वस्तु पानी मे हल्की प्रतीत होती है ।
उत्प्लावन बल = भार में आभासी कमी = हटाये गये द्रव का भार
घनत्व (Density)
वस्तु का घनत्व उसके द्रव्यमान तथा आयतन का अनुपात होता है । इसका S.I मात्रक = kg/m^3
याद रखने के लिए Trick
जो तैरेगा / जिसमें डूबेगा ---> उसका घनत्व कम
जिसमें तैरेगा / जो डूबेगा ---> घनत्व अधिक ।
उदाहरण
तैरते हुए मनुष्य का घनत्व कम होता है , पानी की अपेक्षा ।
बर्फ का घनत्व कम होता है , पानी की अपेक्षा ।
मक्खन का घनत्व कम होता है , दूध की अपेक्षा ।
बादल का घनत्व काम होता है , वायुमण्डल की अपेक्षा ।
आपेक्षिक घनत्व (Relative density )
- जल के सापेक्ष किसी बस्तु के घनत्व उसका आपेक्षिक घनत्व कहते है ।
- आपेक्षिक घनत्व या सापेक्षिक घनत्व और विमा विहीन राशि है क्योंकि यह दो घनत्वों का अनुपात मात्र होता है ।
- आर्किमिडीज के सिद्धान्त से सोने की शुद्धता का पता लगाया जा सकता है , आपेक्षिक घनत्व पारे से कम होता है किंतु पानी से अधिक होता है ।
- किसी बर्तन में पानी भरा है और उस पर बर्फ तैर रही है, जब बर्फ पूरी तरह पिघल जाएगी तो पात्र में पानी का तल अपरिवर्तित रहता है ।
- बहता हुआ हिमखंड ऊपर से न पिघलकर नीचे से पिघलता है क्योंकि नीचे के तल पर अधिक दाब के कारण नीचे की बर्फ का गलनांक कम हो जाता है ।
- मैनोमीटर (Manometer ), सरल वायुदाबमापी (Simple Barometer ) ऊँचाई मापी या तुंगतामापी (altimeter) ये सभी यंत्र द्रव दाव दाब व आर्किमिडीज के सिद्धांत पर आधारित है ।
ससंजक बल (Cohesive force )
समान अणुओं के बीच लगने वाले बल को ससंजक बल कहते हैं।
ससंजक बल -- ठोस > द्रव > गैस
आससंजक बल (Adhesive force )
आसमान अणुओं के बीच लगने वाले बल को आससंजक बल कहते है ।
चॉक से ब्लैक बोर्ड पर लिखना आससंजक बल का उदाहरण है ।
Note ::. पारा काँच पर नहीं चिपकता है , पारे का ससंजक बल मजबूत होने के कारण या पारे और काँच का आससंजक बल कमजोर होने के कारण । जबकि पानी काँच पर चिपक जाता है ससंजक बल अधिक होता है पानी की तुलना में ।
पृष्ठ तनाव (Surface tension)
पृष्ठ तनाव किसी द्रव का एक गुण है जो वह अपने क्षेत्रफल को न्यूनतम बनाने की चेष्टा करता है ।
पृष्ठ तनाव का मात्रक जूल /मीटर भी होता है ।
पृष्ठ तनाव -- शहद > पानी > केरोसीन ।
द्रव में तापमान को बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव का मान घटता है और क्रांतिक ताप पर शून्य हो जाता हैं ।
पृष्ठ तनाव के उदहारण
- वर्षा की बूंदें या पारे के कण आदि गोलाकार होता है , क्योंकि द्रव का स्वतंत्र पृष्ठ कम क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करते हैं ।
- गर्म खाना या सुप स्वादिष्ट लगता है क्योंकि गरम सुप या खाने का पृष्ठ तनाव कम होता है अतः वह जीभ के ऊपर सभी भागों में अच्छी तरह फैल जाता है ।
- समुद्र की लहरों को शांत करने के लिए उसके उपर तेल डाल दिया जाता है ।
- जल में साबुन या डिटरजेंट मिलाने से पृष्ठ तनाव कम हो जाता है ।
केशिकंत्व (Capillarity)
केशनली में द्रव के ऊपर चढना या नीचे उत्तरना केशिकत्व कहलाता है ।
केशनली बहुत पतली, एक समान त्रिज्या वाला एक खोखली नाली है ।
जो द्रव काँच को भिगोता है , वह केशनली में ऊपर चढता है और जो द्रव काँच को नही भिगोता है वह नीचे उतर जाता है ।
नली की त्रिज्या कम होने पर चढ़ान की ऊँचाई का मान बढता है तथा अधिक होने पर घटता है ।
केशिकत्व के उदाहरण
- लालटेन या लैम्प की बत्ती में तेल का चढना
- थीम (ब्लॉटिंग ) पेपर पर स्याही डालने से स्याही का फैलना ।
- पेड़ - पौधों की शाखाओं में खनिज लवणों का संचरण ।
- किसान अपने खेतों की नमी बनाए रखने के लिए खेतो की जुताई कर देता है, जिससे मिट्टी में बनी केशनलिया टुट जाती है और पानी नीचे से ऊपर नही आ पाता है ।
- पानी का नवचंद्रक (Miniscus) अवतल लेंस तथा पारे का उत्तल लेंस के तरह व्यवहार करता है ।
श्यानता (viscosity)
तरल के सतहों के बीच लगने वाले घर्षण बल को श्यान बल कहतें है तथा इस गुण को श्यानता कहलाती है । श्यानता तरल के गाढ़ापन को बताता है ।
जिस तरल में जितना अधिक श्यानता का गुण होगा उसे होलाने में उतना ही अधिक बल लगाना पड़ता है ।
- शहद > पानी > केरोसिन > पेट्रोल
- द्रव > गैस
- ठोस की श्यानता शून्य होती है । यह द्रव और गैस का गुण है ।
- पानी मे चलना कठिन होता है जमीन या वायु के अपेक्षा क्योंकि पानी श्यानता अधिक होती है ।
- द्रव की श्यानता ताप के बढ़ने से घटती है , जबकि गैस की श्यानता ताप के बढ़ने से बढती है ।
- वह तरल जिसका संपीड़यात (Compressibility ) तथा श्यानता दोनों शून्य होते है , आदर्श द्रव कहलाता है परंतु प्रकृति में ऐसा तरल संभव नही है ।